मंदिर में चमत्कारिक रूप से पानी से जलने वाली इस ज्योति के बारे में ज्ञात होने से लोगों के बीच मंदिर को लेकर आस्था और बढ़ गयी और अब यहां बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, गढ़िया माता (Gadhiya Mata) के मंदिर के पुजारी सिद्धू सिंह मंदिर में पूजा अर्चना का संचालन बचपन से ही करते आ रहे हैं, सिद्धू सिंह बताते हैं कि वह शुरू में तो मंदिर में तेल का दिया प्रज्वलित करते थे लेकिन करीब 5 साल पहले उनके सपने में गढ़िया माता ने दर्शन दिए उन्होंने सपने में पुजारी सिद्धू सिंह से कहा कि कब तक तेल से ज्योत जलाएगा पुत्र? जा मैं तुझे आशीष देती हूं कि आज से दीए को तेल की बजाय पानी से प्रज्वलित करना उससे ज्योत जलती रहेगी.
अगली सुबह नींद खुलने पर सिद्धू सिंह ने माता द्वारा कही गई बात का अनुसरण किया और पास में रही कालसिंध नदी से जल भरा और उसे दिए में डाल दिया, दिए में रखी रुई के पास जैसे ही जलती हुई माचिस ले जाई गई वैसे ही ज्योत जलने लगी, इस घटना से कुछ समय तक तो पुजारी सिद्धू खुद भी घबरा गए और लगभग 2 महीने तक उन्होंने इस घटना का जिक्र किसी से नहीं किया बाद में उन्होंने इस चमत्कार के बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया तो पहले उन्हें भी इस बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उन्होंने भी दिए में पानी डालकर ज्योत प्रज्वलित की और जो सामान्य रूप से जल गई तो इसके बाद इस चमत्कार के बारे में पूरे गांव में चर्चा होने लगी पूरे साल यह दिया कालसिंध नदी के जल से प्रज्वलित किया जाता है परंतु बरसात के मौसम में पानी से जलने वाला यह दिया नहीं जलता है क्योंकि वर्षा ऋतु में कालसिंध नदी का जलस्तर बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता इसके बाद शीत ऋतु की नवरात्रि के प्रथम दिन यानी परवा से दोबारा ज्योत जला दी जाती है जो अगले वर्षाकाल तक लगातार चलती रहती है.
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But where it is situated???
MP(Madhya Pradesh)