How to Overcome Fear by Lord Krishna
मनुष्य के जीवन का चालक है भय, मनुष्य सदा ही भय का कारण खोज लेता है, जीवन में जिन मार्गों का हम चुनाव करते हैं वह चुनाव भी हम भय के कारण ही लेते हैं किंतु क्या यह भय वास्तविक होता है? स्वयं विचार कीजिए.
भय का अर्थ है आने वाले समय में विपत्ति की कल्पना किन्तु समय का स्वामी कौन है? ना तो हम समय के स्वामी हैं ना हमारे शत्रु या प्रतिस्पर्धी. समय तो ईश्वर के आधीन चलता है तो क्या यदि कोई आप को हानि पहुंचाने के लिए केवल योजना बनाता है, वास्तव में आप को हानि पहुंचा सकता है?
भय से भरा हुआ ह्रदय हमें अधिक हानि पहुंचाता है, विपत्ति के समय भयभीत ह्रदय अयोग्य निर्णय करता है और विपत्ति को अधिक पीड़ादायक बनाता है किंतु विश्वास से भरा ह्रदय विपत्ति के समय को भी सरलता से पार कर जाता है अर्थात जिस कारण से मनुष्य हृदय को भय में स्थान देता है भय ठीक उसके विपरीत कार्य करता है.
जय श्री कृष्णा
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