यह है प्रार्थना का रहस्य, श्रीकृष्ण का सन्देश

The Secret of Prayer by Lord Krishna

जब-जब मनुष्य के सामने कोई विकट स्थिति आती है तो मनुष्य ईश्वर से प्रार्थना करता है. ईश्वर के समक्ष याचना करता है कि वह इस स्थिति से उभरे किंतु इस प्रार्थना का वास्तविक रूप क्या है? क्या ये हमने कभी विचार किया है?


The Secret of Prayer by Lord Krishna
प्रार्थना का अर्थ है अपनी सारी इच्छाएं , सारी चिंताएं, सारे संकल्प-विकल्प, अपनी सारी योजनाएं इश्वर के चरणों पर रख दे अर्थात अपने कर्म का फल क्या होगा इसकी चिंता न करके धर्म के अनुरूप कर्म करना, ईश्वर की योजना को अपनी नियति मानना, यही प्रार्थना है ना?
किन्तु ईश्वर की योजना को समझ पाना क्या संभव है? वो योजना तो सदा हमारे कार्यों के परिणाम के रूप में प्रकट होती हैं लेकिन यदि कोई कर्मों का ही त्याग कर दें क्या वो प्राथना है?


वास्तव में कर्म ही जीवन है और फल के प्रति मोह ना रखना ही सच्ची प्रार्थना, जो प्रार्थना कर्म में बाधा बन जाए, मनुष्य को कार्य करने दे वो प्रार्थना है या पराजय? स्वयं सोचियेगा.

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