एक न एक बार हर युवा के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उसे लगता है कि उसके माता-पिता उसके साथ बहुत कठोर हो रहे हैं. मैं आपसे पूछता हूं क्या आपने कभी कुम्हार को मटकी बनाते हुए देखा है? वह गिली माटी से मटके को आकार देता है और वास्तविक आकार वो मटकी को तब देता है जब वह लकड़ी से मटके को बाहर से पीटता है.
हम सभी इस कुम्हार को मटके को पीटते हुए देखते हैं परंतु उस कुम्हार के उस हाथ को नहीं देखते जो मटके को भीतर और बाहर की मार से सहारा दे रहा है.
हमारे माता-पिता भी ऐसे ही होते हैं अपनी संतान के भले के लिए, उसके भविष्य को आकार देने के लिए कभी-कभी वह कठोरता को भी अपनाते हैं. आप केवल उनकी कठोरता को न देखो उस देखभाल को भी देखें जिसने आपको भीतर तक संभाल कर रखा है.