आज की इस पोस्ट में हम बरमूडा ट्रायंगल के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
बरमूडा ट्रायंगल क्या है?
दोस्तों अटलांटिक महासागर में लगभग 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एक त्रिभुज यानी ट्रायंगल शेप का ऐसा एरिया है जहाँ से गुजरने वाले सैंकड़ों जहाज गायब हो चुके हैं और आज तक उनका कुछ भी पता नहीं चला है।
इसी एरिया को बरमूडा ट्रायंगल नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस एरिया को Devil’s Triangle यानी शैतानी ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है।
यह एरिया फ्लोरिडा के मियामी, बरमूडा आईलैंड और प्योर्टो रिको के सैन जुआन के बीच है. इन तीनों जगहों को अगर सीधी लाइन से आपस में मिला दिया जाए, तो एक ट्राएंगल यानी त्रिभुज बनता है और इसी इलाके को बरमूडा ट्राएंगल कहा जाता है. हालाँकि यह साफ़ तौर से नहीं कहा जा सकता है बरमूडा ट्राएंगल का एरिया सिर्फ यही तक सिमित है, माना जाता है कि कभी-कभी इससे बहार के एरिया में भी इसका असर देखने को मिलता है।
बरमूडा ट्रायंगल की खोज कैसे हुई?
बरमूडा ट्रायंगल के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले व्यक्ति क्रिस्टोफर कोलम्बस थे, जी हाँ वही क्रिस्टोफर कोलम्बस जिन्होंने अमेरिका की भी खोज की थी। कोलम्बस ने इस जगह में होने वाली गतिविधियों का जिक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह इस एरिया के पास पहुंचे, उनके कम्पास ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला आता दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया. और इस तरह इसके बाद से ही लोगो को इस जगह के बारे में पता चला था।
क्यों खतरनाक है बरमूडा ट्रायंगल?
दोस्तों बीते 100 सालों में बरमूडा ट्राएंगल हजारों लोगों की जान ले चूका है. एक रिपोर्ट के अनुसार यहां हर साल लगभग 4 हवाई जहाज और 20 समुद्री जहाज रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाते हैं.
सबसे पहले 1945 में अमेरिका के 5 टारपीडो, बम गिराने वाले विमानों ने 14 लोगों के साथ इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी. यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटर को पता चला कि जहाज का कम्पास काम करना बंद कर चूका है. इसके तुरंत बाद इन जहाजों से संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे.
इसके बाद इन विमानों को खोजने के लिए जिन विमानों का भेजा जाता है, उनके साथ भी वही होता है और उनका भी आज तक कोई नामों-निशान नहीं मिला. तो इस तरह बरमूडा ट्राएंगल में जहाजों के गायब होने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है।
हाल की बात करे तो साल 2015 में एक कार्गो शिप, ‘’El Faro’’ रहस्य्मय तरीके से इस एरिया में गायब हो गया था। El Faro फ्लोरिडा से प्योर्टो रिको की तरफ जा रहा था। 1 अक्टूबर 2015 को एल फारो अचानक रडार से गायब हो गया और इसके बाद 31 अक्टूबर 2015 को इसके टूटे हुए टुकड़े समुंद्र से 15000 फ़ीट नीचे इसकी सतह में पाए गए।
इसके बाद दिसंबर 2020 में एक बोट 20 लोगों को लेकर बहामास आइलैंड से फ्लोरिडा की तरफ जा रही थी। इस बोट को बरमूडा ट्राएंगल के पास से होकर गुजरना था, दिसंबर 2020 का ये सफर इस बोट का आखिरी सफर था इसके बाद ये बोट और इसमें सवार 20 लोग कहाँ गए, इस बारे में कोई नहीं जानता।
बरमूडा ट्रायंगल आजतक कितने जहाजों को निगल चूका है?
बरमूडा ट्रायंगल में समा चुके समुंद्री जहाज और हवाई जहाजों के बारे में सटीक तौर पर तो कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि अब तक 75 हवाई जहाज और सैंकड़ों छोटे-बड़े समुंद्री जहाज इस ट्रायंगल में समा चुके हैं और उनका आजतक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। इस तरह से माना जाता है की 1000 से भी ज्यादा लोगों की मौत इस ट्रायंगल में हो चुकी है.
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य?
बरमूडा ट्रायंगल को लेकर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग थ्योरी है। कोई कहता है की यहाँ एलियन रहते हैं, कोई कहता है यहाँ समुंद्री राक्षस रहता है लेकिन इसके पीछे असल वजह क्या है? ये बात वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च से काफी हद तक साफ़ हो चुकी है लेकिन अभी भी सटीक तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इसके पीछे की मुख्य वजह यही है।
जहाजों के गायब होने को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोराडो के वैज्ञानिकों ने बरमूडा ट्रायंगल के मौसम को इसका जिम्मेदार बताया है। बरमूडा ट्रायंगल के आसपास मौसम पर किए गए शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह पाया कि इस ट्रायंगल में और आसपास Hexagonal शेप के क्लाउड यानी बादल हैं, वैज्ञानिकों के अनुसार ये साधरण बादल नहीं हैं बल्कि एयर बम हैं और इनके कारण इस एरिया में खतरनाक हवाएं चलती हैं और इनकी रफ्तार 273 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रहती है।
इसके अलावा खराब मौसम के कारण यहाँ समुन्द्र की ऊँची-ऊँची लहरे भी उठती है। जब कोई जहाज इन तेज हवाओं और लहरों के संपर्क में आता है, तो अपना संतुलन खो बैठता है और ये तेज हवाएं इन जहाजों को खींचकर समुद्र की सतह तक ले जाती हैं।
हालाँकि आज भी सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता है बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली घटनाओं के पीछे यही एक वजह है, इस जगह पर आज भी रिसर्च जारी है और उम्मीद है की आने वाले समय में इस जगह के बारें में हमें और सटीक जानकारी मिल सकेगी।