आज की इस पोस्ट में हम टाइटैनिक के बारे में बात करने वाली हैं, वही टाइटैनिक जहाज जिसके बारे में कहा जाता था की वो कभी नहीं डूब सकता। लेकिन सिर्फ एक हिमखंड यानी iceberg से टकराने से यह जहाज डूब गया।
क्या ये संभव है, या इसके पीछे कुछ और ही कारण हैं जिसे आज तक आधिकारिक तौर पर आम जनता से छुपाया गया, चलिए जानते हैं इस पोस्ट में।
और हाँ आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ना क्योंकि इस पोस्ट में आपको बहुत सी नयी जानकारी मिलने वाली है, तो चलिए शुरु करते हैं।
कैसे डूबा टाइटैनिक जहाज?
14 अप्रैल 1912 की रात को लगभग 11 बजे टाइटैनिक जहाज एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इसके 3 घंटे बाद यानी 15 अप्रैल 1912 के सुबह लगभग 2 बजे तक कभी ना डूबने वाला ये टाइटैनिक जहाज पूरी तरह से अटलांटिक सागर में समा जाता है।
टाइटैनिक में 2224 यात्री सवार थे जिसमें से 1517 लोग अपनी जान गवां देते हैं जिसमें पुरुष, महिलाऐं और बच्चे भी शामिल होते हैं। और यह संख्या टाइटैनिक में सवार कुल लोगों का 2/3 यानी लगभग 66% थी।
इतनी भयानक और इतनी बड़ी इस दुर्घटना के पीछे की वजह एक हिमखंड यानी iceberg को बताया जाता है और कहा जाता है कि एक iceberg के अचानक टाइटैनिक से टकराने की वजह से ही यह घटना हुई।
लेकिन सालों से चली आ रही आधुनकि जांच के बाद साइंटिस्ट फ़िलहाल उस कारण को ढूढ़ने में कामयाब हो गए हैं जिस वजह से टाइटैनिक जहाज डूबा था और ये वजह शुरुवात में की गयी जांच में दिए गए कारणों से अलग है।
लेकिन उससे पहले जान लेते हैं-
कितना बड़ा था टाइटैनिक?
वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार टाइटैनिक जहाज न्यूयार्क शहर में स्थित इंपीरियल स्टेट बिल्डिंग जितना ऊंचा था। विस्तार में देखें तो यह जहाज 882.9 फ़ीट लम्बा, 92 फ़ीट चौड़ा और 175 फ़ीट ऊँचा था। टाइटैनिक जहाज का कुल वजन 52,310 टन था। इस जहाज में ऊपर धुंए को निकलने के लिए 4 बड़े स्मोकस्टैक्स भी थे जो 30 डिग्री पर झुके हुए थे। तो इस तरह से आप कल्पना कर सकते हैं की उस समय पर यह कितना बड़ा जहाज था।
इस जहाज को बनाने में आने वाली लागत की बात करे तो उस समय पर इस जहाज को बनाने में 7.5 मिलियन डॉलर की लागत आयी थी जो आज के हिसाब से लगभग 170 मिलियन डॉलर के बराबर होती है। लेकिन आपको शायद जानकार आश्चर्य होगा की इसकी लागत 1997 में बनी Titanic मूवी को बनाने में आयी लागत से कम थी। 1997 में रिलीज हुई Titanic मूवी को बनाने में टोटल 200 मिलियन डॉलर का खर्च आया था।
इस जहाज का निर्माण भी विवादों से घिरा हुआ है। इसे बनाने में कुल 3000 मजदूर लगे थे। यह मजदूर हफ्ते में 6 दिन सुबह 6 बजे से काम में लग जाते थे और इस तरह से इस जहाज को पूरी तरह से बनने में कुल 26 महीने लगे थे।
इस जहाज का निर्माण कार्य कोई आसान काम नहीं था और यह खतरों से भरा हुआ था। कल्पना कीजिये किसी 17 मंजिला ईमारत की जहाँ मजदूर बिना किसी सेफ्टी के काम कर रहे हैं वो कितना खतरनाक रहा होगा। लेकिन यह मजदूर अपना घर चलाने के लिए इस खतरे भरे काम को करने के लिए मजबूर थे। दुर्भाग्य से इस निर्माण कार्य के दौरान 8 मजदूर की मौत हो गयी और 250 से ज्यादा चोटिल जो गए थे।
टाइटैनिक के डूबने का कारण?
इस बात पर विश्वाश करना काफी मुश्किल है की इतना लम्बा समय देकर और इतना पैसा खर्च करके बनाया गया टाइटैनिक जहाज सिर्फ एक iceberg के टकराने से डूब गया। और जो आधुनकि जाँचे हैं उसमें यह बात साफ भी हो गयी है की टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण iceberg से टकराना नहीं बल्कि आग थी।
जी हाँ, जर्नलिस्ट Senan Molony (सेनन मोलोनी) पिछले कई सालों से टाइटैनिक के डूबने के कारण पर रिसर्च कर रहे हैं और इसी दौरान उन्हें टाइटैनिक की एक पिक्चर मिलती हैं जो टाइटैनिक के यात्रा में जाने से पहले की है। इस पिक्चर में जहाज के निचले भाग में एक 30 फ़ीट बड़ा काला धब्बा दिख रहा है जो आग से जलकर बना था। यह पिक्चर पुरानी जांचों में आज तक आधिकारिक तौर पर पब्लिश नहीं की गयी।
यह आग टाइटैनिक को चलाने के लिए स्टोर किए गए कोयले में लगी थी। यह कोयला जहाज के नीचे के भाग में बने तीन मंजिला स्टोर में रखा गया था। Senan Molony (सेनन मोलोनी) के अनुसार टाइटैनिक जहाज में यह आग किसी के नोटिस किए जाने के पहले पिछले 3 हफ़्तों से जल रही थी और इसने जहाज के मैरेटियल को 75% तक कमजोर कर दिया था और यही वजह थी की Iceberg से टकराकर जहाज आसानी से टूट गया। Iceberg से टकराने के बाद जहाज में एक बड़ा होल हो गया।
Senan Molony (सेनन मोलोनी) के अनुसार Iceberg से टाइटैनिक का वही भाग टकराया होगा जो आग के कारण कमजोर पड़ गया था। नहीं तो इतने स्ट्रांग मेटल से बने जहाज का Iceberg से टकराकर टूट जाना पॉसिबल नहीं था। इस तरह से कहा जा सकता है कि आग और Iceberg से टकराना यह दोनों मिलकर टाइटैनिक को डुबाने का कारण बने।
सेनन मोलोनी का मानना है कि प्रोजेक्ट के मैनेजमेंट को इस आग की जानकारी लग गयी थी लेकिन इसके बाद भी यात्रा को शुरू किया गया क्योंकि मैनेजमेंट को लगा की इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा मैनेजमेंट नहीं चाहता था की टाइटैनिक की बदनामी हो और मैनेजमेंट यात्रा को तय समय में शुरू करना चाहता था।
टाइटैनिक की पहली और आखिरी यात्रा
इसके बाद टाइटैनिक की पहली और आखिरी यात्रा 10 अप्रैल 1912 को शुरू होती है। टाइटैनिक की इस यात्रा में यात्रियों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया था।
आइये अब देखते हैं की इस यात्रा के दौरान VIPs कैटेगरी के लिए किस तरह के खास इंतजाम किये गए थे-
टाइटैनिक में VIPs के लिए जो इंटीरियर बनाया गया था वो किसी लग्ज़री होटल से कम नहीं था। फर्स्ट क्लास कैटेगरी के यात्रियों को अलग-अलग तरह की खास सुविधाएँ दी जाती थी जैसे – उनको जहाज के अंदर गर्म पानी के साथ स्विमिंग पूल की सुविधा दी गयी थी, इसके अलावा जिम, स्पोर्ट्स की जगह और ब्यूटी सैलून जैसी सुविधा दी गयी थी। फर्स्ट क्लास यात्रियों के पालतू जानवरों के लिए भी टाइटैनिक में विशेष सुविधा थी। यात्रा के दौरान उन्हें वाक पर ले जाने और ट्रेनिंग दी जाने की सुविधा दी गयी थी।
शानदार व्यंजन के साथ फर्स्ट क्लास यात्रियों को पार्टी की भी विशेष सुविधा दी गयी थी। इसके लिए 1500 वाइन, 20 हज़ार बियर और 8000 सिगार VIPs के लिए उपलब्ध थे। लेकिन एक चीज जिसकी शायद सबसे ज्यादा जरूरत थी वो यहाँ मौजूद नहीं थी और वह है दूरबीन।
दूरबीन की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि अगर दूरबीन होती तो टाइटैनिक को डूबने से बचाया जा सकता था। उस समय पर सोनार सिस्टम नहीं हुआ करता था। इसलिए समय-समय पर दूरबीन से आगे का रास्ता देखा जाता था।
ऐसा नहीं है की इतने बड़े टाइटैनिक जहाज में दूरबीन मौजूद ही नहीं थी लेकिन यह एक स्पेशल कम्पार्टमेंट में रखी गयी थी जो लॉक था। दरअसल हुआ ये की इस कम्पार्टमेंट की चाभी यानि Key, डेविड ब्लेयर नाम के नाविक के पास थी लेकिन यात्रा से कुछ समय पहले ही उसकी ड्यूटी किसी और शिप में लग जाती है और इस दौरान जल्दीबाजी में डेविड इस कम्पार्टमेंट की Key देना भूल जाता है।
इस बात के बारे में उसे 3 दिन बाद पता चलता है लेकिन तब तक टाइटैनिक अपनी यात्रा में निकल चूका था और बीच समुन्द्र में था। अगर दुसरे नाविक के पास यह Key होती तो उसके पास दूरबीन का एक्सेस भी होता जिससे वह समय-समय पर आगे का रास्ता देख सकता था और शायद तब यह हादसा भी टल जाता क्योंकि iceberg को नोटिस करने के बाद उनके पास पर्याप्त समय होता अपना रास्ता बदलने का।
इसके अलावा टाइटैनिक की स्पीड भी उसके डूबने का एक कारण बनी, दरअसल वो अपनी Schedule Running से पीछे चल रहे थे और टाइटैनिक की Reputation के लिए पहली ही यात्रा में तय समय से लेट होना मैनेजमेंट को मंजूर नहीं था। और यही कारण था की टाइटैनिक दुर्घटना से पहले अपनी तय स्पीड से काफी ज्याद स्पीड पर चल रहा था।
इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण या लापरवाही रही जो अगर ना होती तो शायद दुर्घटना होने के बाद भी बहुत सी जाने बच सकती थी।
ऐसी ही कुछ लापरवाही दिखी लाइफ बोट के साथ वास्तव में टाइटैनिक में कुल 60 लाइफ बोट उपलब्ध होनी चाहिए थी लेकिन टाइटैनिक के डिजाइनर थॉमस एंड्रयूज ने केवल 48 लाइफ बोट के साथ यात्रा शुरू करने का फैसला किया लेकिन बाद में लाइफ बोट की संख्या को दुबारा कम करके 20 कर दिया गया ताकि जहाज बहुत ज्यादा भरा हुआ ना दिखे और खुलकर जगह मिल सके।
तो इस तरह देखा जाए तो टाइटैनिक में लाइफ बोट की संख्या कुल यात्रियों के लिए पर्याप्त लाइफ बोट का केवल 33% था।
आश्चर्य की बात तो यह है की उस समय कम लाइफ बोट्स के साथ यात्रा करना भी क़ानूनी तौर पर मान्य था। उस समय के नियमों के अनुसार लाइफ बोट्स की संख्या यात्रियों की संख्या पर नहीं, बल्कि जहाज के भार पर निर्भर करती थी।
कुछ लोग टाइटैनिक के कैप्टेन एडवर्ड जॉन स्मिथ की इस बात को लेकर आलोचना करते हैं कि लाइफ बोट्स के पहले बैच को केवल हाफ कैपेसिटी के साथ भेज दिया गया। पहली लाइफ बोट में 60 लोगों के लिए जगह थी लेकिन इसमें सिर्फ 27 यात्री ही भेजे गए। हालाँकि टाइटैनिक से बच कर आये कुछ लोगो का कहना है की उस समय बहुत से यात्री खुद ही वहां से आना नहीं चाहते थे क्योंकि उनको इस बात का अंदाजा ही नहीं था की आगे स्थति इतनी खराब हो जाएगी।
शुरुआती जांच में यह भी कहा गया की जब टाइटैनिक डूब रहा था तब आसमान में इमरजेंसी फ्लैश से इस बात का संकेत दिया गया, उस समय Californian नाम का स्टीमर पास से निकल रहा था लेकिन उसने इन संकेतों को इग्नोर कर दिया। जब यह बात सामने आयी तब Californian के कैप्टेन को जॉब से निकाल दिया गया। लेकिन आधुनिक जांच में यह बात साबित हो चुकी है की Californian स्टीमर का कप्तान निर्दोष था।
तो यही थे टाइटैनिक जहाज के डूबने के कुछ कारण, लेकिन इनमें से असल कारण जो भी हो इस दुर्घटना में सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गवां दी और इसके डूबने की सटीक वजह पता करने के लिए आज भी बहुत सी वैज्ञानिक रिसर्च जारी है।
आपको क्या लगता है बताए गए कारणों में से कौन सा कारण टाइटैनिक के डूबने का सबसे बड़ा कारण था? अपना जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताए।