चटका हुआ मटका – Hindi Motivational Story

चटका हुआ मटका – Hindi Motivational Story

एक बड़े सेठ के घर में एक व्यक्ति काम करता था जिसका काम अपने मालिक के घर से कुछ दूर बहने वाली नदी से पानी लाना था। वह रोजाना ये काम करता था। पानी को लाने के लिए उसके पास दो मटके थे जिसमे वो पानी भरकर अपने दोनों हाथो में पकड़कर लाया  करता था। दो मटको में से एक मटके में दरार थी यानि एक मटका चटका हुआ था और एक पूरी तरह से ठीक था और उस मटके में नदी से जितना पानी लाया जाता था उतना पूरा पानी सेठ के घर पहुंचता था जबकि चटके हुए मटके में केवल आधा ही पानी सेठ के घर पहुंच पाता था। 


दो साल तक लगातार ऐसा ही चलता रहा और वह व्यक्ति अपने मालिक के घर एक मटके में पूरा और एक मटके में आधा पानी पहुंचाता रहा। जो मटका जो पूरी तरह से ठीक था वो अपने काम से खुस था और उसे अपने आप में गर्व था लेकिन चटका हुआ मटका अपने में पड़ी दरार से दुखी था क्योकि उसे लगता था की वो अपनी Capacity का केवल आधा भाग पानी ही मालिक के घर तक पंहुचा पाता है। दो साल तक लगातार ऐसा चलने के कारण उसने नदी में पहुंचने पर उस व्यक्ति से पूछा जो रोजाना उसमे पानी भर सेठ के घर ले जाता था।
 “मै अपने आप से शर्मिंदा हु और तुमसे माफ़ी माँगना चाहता हू” 
ऐसा सुनकर उस व्यक्ति से उससे पूछा 
क्यों तुम किसलिए शर्मिंदा हो?”
तो मटका बोला “पिछले 2 साल से तुम मुझ में पनि भरकर अपने मालिक के घर ले जाते हो लेकिन अपने में आई इस दरार कारण मै अपनी Capacity का केवल आधा पानी ही मालिक के घर पंहुचा पाता हु और आधा पानी इस दरार के कारण व्यर्थ चला जाता है। “


उस जाने वाले व्यक्ति ने उस मटके के लिए खेद महसूस किया और दया भाव में बोला “जब हम पानी भरकर सेठ के घर लौटेंगे तो मै तुम्हे मार्ग के किनारे आने वाले सुन्दर फूल दिखना चाहता हू। “

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तो इस तरह जब वो सेठ के घर वापिस लौट रहे थे तो चटके हुए मटके ने उन सुन्दर फूलों को देखा, वे बहुत ही सुन्दर थे और सूर्य की किरणें उन फूलों पड पड़ने से वो और भी सुन्दर लग रहे थे लेकिन अंत में सेठ के घर पहुंचने पर चटका हुआ मटका फिर से दुखी था क्योकि हमेशा की तरह उसमे अपनी Capacity का आधा पानी ही बचा था इसलिए उसने पानी लाने वाले व्यक्ति से फिर से माफ़ी माँगी। 
तब उस पानी लाने वाले व्यक्ति ने उस चटके हुए मटके से कहा ” क्या तुमने उन सुन्दर फूलों में ध्यान दिया वो केवल तुम्हारी ही Side(तरफ) थे उस पूरी तरह सही मटके की तरफ नहीं, और जानते हो ऐसा क्यों है क्योकि मै जानता था की पानी लाते समय तुम से पानी लगातार गिरता रहता है और मैंने इसका लाभ उठाया। मैंने मार्ग में तुम्हारी तरफ फूलों के बीज बो दिए और हर दिन जब हम पानी भर के लौटा करते थे तुमने उन्हें पानी दिया। और दो सालो तक इन फूलों को मैं मालिक के घर देता रहा जो उनके घर की साज सजावट के काम आते रहे। अगर तुम चटके हुए न होते तो ऐसा कभी संभव न हो पाता।

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Moral (शिक्षा) – 

अपने आप की तुलना किसी दूसरे से मत करो ,हम सबके अंदर कुछ न कुछ Talent (प्रतिभा) है उस Talent को पहचानो, Life बेहद आसान और खूबसूरत हो जाएगी। 


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