Study Tips for Exams by Lord Krishna in Hindi
श्रेष्ठता का अर्थ है दूसरों से अधिक ज्ञान प्राप्त करना अर्थात मूल्य इस बात का नहीं कि स्वयं कितना ज्ञान प्राप्त किया, मूल्य इस बात का है कि प्राप्त किया हुआ ज्ञान अन्य लोगों से कितना अधिक है अर्थात श्रेष्ठता की इच्छा ज्ञान प्राप्ति को भी एक स्पर्धा बना देती है और स्पर्धा में विजय अंतिम कब होती है?
कुछ समय के लिए तो श्रेष्ठ बना जा सकता है किंतु सदा के लिए कोई श्रेष्ठ नहीं रह पाता फिर वही असंतोष, पीड़ा और संघर्ष जन्म लेता है किन्तु श्रेष्ठ बनने के बदले यदि उत्तम बनने का प्रयत्न करें तो क्या होगा?
उत्तम का अर्थ है कि जितना प्राप्त करने योग्य है प्राप्त करना, किसी से अधिक पाने की इच्छा से नहीं मात्र आत्मा की तृप्ति हेतु कुछ प्राप्त करना, उत्तम के मार्ग पर किसी अन्य से स्पर्धा नहीं होती स्वयं अपने आप से स्पर्धा होती है अर्थात उत्तम बनने का प्रयत्न करने वाले को देर-सबेर सारा ज्ञान प्राप्त हो जाता है बिना प्रयत्न के ही वह श्रेष्ठ बन जाता है किंतु जो श्रेष्ट बनने का प्रयत्न करता है वह श्रेष्ठ बने या ना बने उत्तम कभी नहीं बन पाता.
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