कभी गिर कर चोट लगने का डर तो कभी लोग क्या कहेंगे का डर, बस फिर डर से डर कर बैठ जाते हैं. कुछ दिन बाद फिर उड़ान भरने की तमन्ना जगती है तो बहुत बार लोगों की सलाह लेने निकलते हैं और लोग हैं कि फिर मान्यताओं का पाठ पढ़ाना शुरू करते हैं. आप यह कर सकते हैं, आप यह नहीं कर सकते हैं के बारे में लगातार समझाते हैं. वह धीरे-धीरे हमारे जीवन की मान्यताएं बन जाती हैं और इन मान्यताओं के बीच हमारा जीवन बीतने लगता है. यही हमारी हकीकत बन कर सामने आने लगती हैं और कुछ विशेष करने की तमन्ना धीरे-धीरे शांत होने लगती है. मगर अब जो मैं आपको आगे बताने वाला हूं उसे सुनकर आप अपनी सभी मान्यताएं तोड़ देंगे और उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाएंगे.
दोस्तों आपने भवरें को तो देखा होगा वह उड़ता है. मगर मान्यता है आम लोगों कि नहीं वैज्ञानिकों की भवरें नही उड़ना चाहिये क्योकि उसका शरीर इतना भारी है पंख कितने छोटे हैं वो जरा भी उड़ने के लिए नहीं है. मगर यह बात केवल वैज्ञानिक जानते हैं या दुनिया मानती है, भंवरा नहीं जानता इसलिए वह आज भी उड़ता है क्योंकि लोगों की और वैज्ञानिकों की मजबूरी है कि वह यह ज्ञान भंवरे को नहीं डे सके, ऐसा नहीं है कि वो यह ज्ञान उन्हें देना नहीं चाहते वो इसलिए क्योकि कोई उपाय नहीं भवरें से बात करने का, उसे समझाने का कोई तरीका उनके पास नहीं है और यदि आने वाले समय में विज्ञान इतना एडवांस हो सका की भवरें को यह संदेश पहुंचाया जा सके तो दोस्तों बहुत संभव है कि भविष्य में इस दुनिया में भवरें नहीं उड़ सकेंगे क्योंकि लोग पैदा हुए बच्चे को बचपन से ही समझाना शुरू कर देंगे कि आप उड़ने के लिए नहीं है इसलिए रिस्क मत लेना और भंवरे को जमीन पर चलते हुए देखा जा सकता है.
मैं इस उदाहरण से यही समझाना चाहता हूं कि खेल जीवन में हमारी मान्यताओं का है जो हम मान लेते हैं हमारा अवचेतन मन उसे हकीकत में बदलने लगता है तो भंवरे का उदाहरण आपको जरूर आप की मान्यताएं तोड़ने में मदद करेगा और आप उड़ान भर पाएंगे.
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