Chanakya Niti हिंदी में
Chanakya Niti, प्रथम अध्याय श्लोक 11
नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्तव्य का पालन ना कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत में घिरे हो, मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में करें और जब आपका वक्त अच्छा ना चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करें.
दोस्तों, आचार्य चाणक्य इस नीति में कहना चाहते हैं कि समय पर ही लोगों की परख होती है। हम सब जानते हैं कि हर एक इंसान के अंदर अच्छाई होती है और बुराई भी होती है तो हर एक इंसान हमारे समय को देखने के बाद अपना सही चेहरा दिखाता है यानी कि हमारे लिए वह इंसान कैसा है वह हमारे अच्छे या फिर बुरे टाइम पर निर्भर करता है.
इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्तव्य का पालन न कर रहा हो, अगर किसी भी रिश्तेदार की परीक्षा करनी है कि वह हमारे लिए कैसा है हमारे लिए अच्छा सोचता है या फिर हमारे लिए बुरा सोचता है तो वह परीक्षा आप जब भी मुसीबत में हो मुसीबत में हो तब आप ले सकते हैं, आपका कोई भी रिश्तेदार आपके लिए शुभचिंतक है आपके लिए अच्छा सोचता है तो आप की मुसीबत के समय में भी आपके लिए काम आएगा.
एक सच्चे दोस्त की भी परीक्षा उसी समय पर होती है जब आप बहुत ही बुरी परिस्थिति में हो, जब आपके पास पैसा ना हो या फिर आपके घर में कोई प्रॉब्लम हो तो आपका एक सच्चा मित्र ही आपके काम आ सकता है. अगर आपका कोई दोस्त है जो आपको बुरे समय में काम नहीं आया तो वह मित्र कोई भी काम का नहीं क्योंकि वह आपके बुरे समय में आपके साथ नहीं रहा तो वह आपके लिए कुछ भी नहीं कर पाएगा.
चाणक्य यह भी कहते हैं कि पत्नी की परीक्षा बुरे वक्त में ही हो सकती हैं, पत्नी ऐसी होनी चाहिए जो आपको व्यसन से दूर करें, पत्नी वह होती है जो सहायिका और असली जीवन संगिनी होती है. पत्नी के मन में कभी भी पैसों की लालच नहीं होनी चाहिए यानी कि पति का कैसा भी समय चल रहा हो उसके पास पैसे हो या ना हो लेकिन पत्नी को उसका साथ देना चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सही समय पर सही इंसान की परख हो जाती है बस आपको सही नजर से उसको देखना है कि किस समय पर कौन सा व्यक्ति आपको काम आया.