Chanakya Niti हिंदी में
Chanakya Niti प्रथम अध्याय श्लोक 10
बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहां रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो, जहां लोगों को किसी बात का भय ना हो, जहां लोगों को किसी बात की लज्जा ना हो, जहां लोग बुद्धिमान ना हो और जहां लोगों की वृत्ति दान-धर्म करने की ना हो.
दोस्तों आचार्य चाणक्य इस नीति में कहते हैं जहां रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन ना हो, जहाँ लोगों में लोक लाज अथवा किसी प्रकार का भय ना हो, जिस स्थान पर परोपकारी लोग ना रहते हो और जहाँ त्याग की भावना ना पाई जाती हो वहां पर रहना खतरे से भरा और व्यर्थ है.
ऐसे स्थान पर व्यक्ति का कोई सम्मान ही नहीं होगा और वहां रहना भी कठिन होगा, व्यक्ति को अपने आवास के लिए सब प्रकार के साधन संपन्न और व्यवहारिकता का स्थान चुनना चाहिए, सभी साधन और सभी चीजें मिल जाए ऐसी जगह पर अगर व्यक्ति रहता है तो वह अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहेगा क्योंकि वहां के लोगों में ईश्वर में आस्था होगी, वहां के लोग समाज का आदर करेंगे, आपका आदर करेंगे, एक बुद्धिमान व्यक्ति का आदर करेंगे और गलत काम करने में उनको डर रहेगा, उनको संकोच होगा और लज्जा रहेगी.