Chanakya Niti हिंदी में
Chanakya Niti प्रथम अध्याय श्लोक छठवा
व्यक्ति को आने वाली मुसीबतों से निपटने के लिए धन संचय करना चाहिए, उसे धन संपदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनों को बेकार समझना चाहिए.
चाणक्य इस नीति में कहते हैं कि संकट और दुख में धन ही मनुष्य के काम आता है यानी कि जबभी कोई प्रॉब्लम आती है तब हमने जो भी धन बचाया है वही हमारे काम आता हैं इसलिए चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को धन की रक्षा करनी चाहिए, पैसे बचाने चाहिए ताकि जब भी हमारी लाइफ में कोई प्रॉब्लम आये तो वह पैसे कमा आये.
फिर आगे चाणक्य कहते हैं कि पत्नी, धन से भी बढ़कर है इसीलिए पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए चाहे आपका धन चला जाए मगर आपको पत्नी की रक्षा करनी होगी.
वैसे आचार्य चाणक्य धन के महत्व को कम नहीं करते क्योंकि धन से व्यक्ति के अनेक कार्य हो सकते हैं लेकिन पत्नी के सम्मान की बात आती है तो धन की परवाह नहीं करनी चाहिए. परिवार की मान मर्यादा स्त्री में छुपी होती है इसीलिए चाणक्य कहते हैं कि प्रथम महत्व परिवार की महिलाओं का होना चाहिए.
फिर आगे चाणक्य कहते है जब आत्मा की बात आती है तो धन और स्त्री दोनों की चिंता छोड़ देनी चाहिए और आत्मा को प्रथम स्थान देना चाहिये.